सरकारी अस्पताल में आईवीएफ का खर्चा – Government / insurance in IVF

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सरकारी अस्पताल में आईवीएफ का खर्चा – आईवीएफ का इलाज कई बार इतना महंगा होता है कि आम आदमी की पहुँच से बाहर हो जाता है। ऐसे में दिमाग में एक सवाल जरूर आता है कि क्या आईवीएफ के ट्रीटमेंट का सरकारी कोई योजना के तहत इलाज नहीं हो सकता क्या? क्या इन्शुरन्स के थ्रू इसमें किसी तरह की मदद नहीं मिल सकती क्या? तो आज मैं इस लेख के माध्यम से आपको बताऊंगी कि क्या है वो सरकारी योजनाएं जिससे आप आईवीएफ ट्रीटमेंट में सरकारी मदद ले सकते हैं। क्या कौन सी ऐसी इन्षुरेन्स पॉलिसी है जिनके थ्रू आप आइवीएफ में रिंबर्स अपना करवा सकते है?

सरकारी अस्पताल में आईवीएफ का खर्चा – Government / insurance in IVF

हम सब जानते हैं कि आईवीएफ का जो खर्च है वो देर से तीन लाख तक पहुंचता है। इसके बाद होने वाली प्रेग्नन्सी में भी समय समय पर दवाइयां, चेक अप, सोनोग्राफी और फाइनली डिलिवरी के बाद कभी कभी बच्चे यदि ट्विन्स है या जल्दी डेलिवरी हो गयी है तो उसमें भी एक काफी खर्च दंपति का हो जाता है। ऐसे में कई बार आम आदमी इस खर्च को वहन करने में अपने आप को असमर्थ पाता है।

और ये सवाल जेहन में जरूर आता है कि जब विदेशों में जैसे कि यूरोप में अधिकतर कन्ट्रीज में ये सरकार के द्वारा खर्च किया जाता है। Up to Two Two Three साइकल जो है वो यूरोप के अधिकांश देशों में सरकार वहन करती है। यूएस की यदि बात करें तो अधिकांश केसेस में इन्श्योरेन्स इसका खर्च वहन करती है। तो आउट ऑफ पॉकेट केवल भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ पर ये आउट ऑफ पॉकेट किया जाता है। अधिकांश विदेशी देशों में ये इलाज कहीं ना कहीं या तुम इन्श्योरेन्स से रीयमबरस होता है या तो सरकारी मदद से होता है।

अच्छी बात यह है कि पिछले कुछ सालों में मध्य प्रदेश में ये इलाज जो है ये सरकारी दायरे में आ चुका है। आप लोगों में से कई लोग इस बात से अनभिज्ञ होंगे परंतु आयुष्मान भारत की निरामयम योजना के तहत अब संतानहीनता का जो इलाज है वो चिन्हित प्राइवेट सेंटर्स पर निशुल्क किया जाता है। क्या है ये निरामयम योजना और कौन इसके हितग्राही हो सकते हैं? निरामयम योजना आयुष्मान भारत जो एक हेल्थ की योजना है उसका ही एक भाग है। इसके लिए दम्पत्ति के पास आयुष्मान कार्ड होना आवश्यक है। महिला की उम्र इक्कीस से पैंतालीस साल होनी चाहिए और कम से कम तीन साल शादी हो चूके होने चाहिए। दंपति का एक भी जीवित बच्चा नहीं होना चाहिए यानी सैकंडरी इनफर्टिलिटी के केसेस जो सेकंड थर्ड बेबी चाहते हैं वो इस योजना में कवर्ड नहीं है।

ऐसे केसेस में महिला को या तो स्वास्थ्य शिविर में अपना चेकअप कराना होता है या फिर जो रौशनी क्लीनिक संचालित होते हैं जिला चिकित्सालय में प्रति बुधवार वहाँ पर जाकर अपनी जांचें करानी होती है। जब ये निकल के आता है कि इस महिला को संतान हीनता है तथा कुछ बेसिक जांचें और बेसिक इनका ट्रीटमेंट होगा। जैसे की लैप्रोस्कोपी तो जो जिला मेडिकल बोर्ड है वो इन्हें प्रथम पैकेज के अंतर्गत निजी संस्थानों में रेफर करता है। ये वो निजी संस्थान हैं जो सरकार द्वारा चिन्हित किए गए हैं प्रथम पैकेज में आयुष तथा लैप्रोस्कोपी कवर्ड होती है।

यदि किसी कारण से महिला प्रथम पैकेज में conceive नहीं हो पा रही या फिर बीमारी इस तरह की है कि डाइरेक्ट Test Tube Baby कि जरूरत पड़ेगी तब ऐसे में जो संभागीय बोर्ड होता है वो अनुशंसा करता है कि इस व्यक्ति का आईवीएफ होगा और जिंस सेंटर पे प्रथम पैकेज हुआ है उसी सेंटर पे इस मरीज का सेकंड पैकेज यानी टेस्ट ट्यूब बेबी का ट्रीटमेंट किया जाता है। इसमें दम्पत्ति को अपनी तरफ से दवाइयां, इंजेक्शन, लैब चार्जेस, भर्ती का खर्चा कुछ भी देना नहीं होता पूरा जो खर्चा है वो सरकार वहन करती है।

और सरकार जो चिन्हित सेंटर है उसको रिम बरस करती है। ये मेरे हिसाब से एक शुरुआत है एक छोटी ही सही पर बहुत अच्छी शुरुआत है क्योंकि इसके कारण बहुत से वो दम्पत्ति जो IVF के बारे में सोच भी नहीं पाते थे, अब कम से कम अपने ट्रीटमेंट के लिए आगे बढ़ रहे हैं।

बुरी बात यह है इस योजना की कि इसमें केवल अभी फर्स्ट आइवीएफ साइकल रिम बरस होता है। यदि किसी कारण से आईवीएफ फेल हो गया है तो दूसरी साइकल जो है ये सरकार रिम बरस नहीं करती हैं। दूसरा, यह केवल जो आयुष्मान कार्ड धारक हैं, कई ऐसे गरीब लोग हैं जिनके पास आयुष्मान कार्ड नहीं है, उनको ये कवर नहीं करता। साथ ही मध्यप्रदेश के अलावा सारे स्टेटस में ये अभी आयुष्मान में इन्क्लूडेड नहीं है तो जो मध्य प्रदेश के बाहर रहते हैं वो आयुष्मान कार्ड धारक होते हुए भी इस तरह की योजना का लाभ नहीं ले पाते।

दूसरा एक तरीका आर्थिक मदद का हो सकता है वो है इन्शुरन्स अनफारचुनेटली इन्षुरेन्स में दो हज़ार उन्नीस से पहले तक इनफर्टीलिटी बिल्कुल कवर्ड नहीं था।अभी भी यदि आपके पास इन्षुरेन्स पॉलिसी है तो उसको आप ध्यान से पढ़िए बहुत कम ऐसी इन्षुरेन्स पॉलिसी है जो फर्टिलिटी के ट्रीटमेंट को कंप्लीट्ली रीयमबरस करती है। इन्फैक्ट फर्टिलिटी से रिलेटेड सर्जरी ज़ को भी अधिकांश जो पॉलिसी है वो अपने दायरे से बाहर रखती हैं। तो जब भी कोई यंग दंपति इन्षुरेन्स ले तो मेरा उनसे यही आग्रह है कि ऐसी कंपनी से इन्षुरेन्स लीजिये जो यदि आगे जाके कभी इनफर्टिलिटी हो तो वो उसका भी खर्चा वहन करे। साथ ही साथ उसमें मैटरनिटी बेनिफिट भी हो।

जी हाँ, हम ये सोचते है की डिलिवरी तो एक नॉर्मल प्रोसेसर है इसमें बहुत खर्चा नहीं आएगा परंतु आजकल मॉडर्न युग में बहुत सी ऐसी जटिलताएं हैं जो प्रेग्नेंसी के दौरान हो जाती है। और यदि आपकी पॉलिसी में मैटरनिटी कवर है तो आप निश्चिंत हो के बहुत अच्छी जगह पे अपना इलाज करा सकते है। आखिरी में मध्यप्रदेश में एक और तरीका है सरकारी सहायता पाने का में उसमें अक्सर सहायता नहीं मीलती है परन्तु के बाद प्रेग्नन्सी में यदि जल्दी डिलिवरी हो गई है, बच्चों की या और कोई मेडिकल प्रॉब्लम आयी है तो मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान के अंतर्गत कुछ राशि जो है वो दम्पत्ति को मिल सकती है। ये राशि आमतौर पर एक लाख के अंदर होती है परंतु मेरे हिसाब से एटलिस्ट ये एक शुरुआत है तो जो दंपति आर्थिक समस्या में हैं उन्हें मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान योजना के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।

ये बात हम सब मानते है की सरकारी जो मदद हैं वो आईवीएफ में अभी भी बहुत कम है यह एक छोटी सी बूंद है। और जब की आवश्यकता एक सागर की है क्योंकि संतानहीनता के केसेस बहुत तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। आशा करती हूँ कि जीस प्रकार मध्यप्रदेश ने यह कदम उठाया है उसी प्रकार दूसरे भी स्टेट से इस बारे में विषय में सोचेंगे। एक जो बहुत अच्छी शुरुआत जो मैं आपको अंत में बताना चाहूंगी मध्यप्रदेश में दो हज़ार बाईस में जो छह मेडिकल कॉलेजेस है जो सरकारी कॉलेजेस है वहा पर अब एआरटी सेंटर शुरू किए जाएंगे।

ये जो सरकारी सेंटर्स है ये सरकारी अस्पताल में मेडिकल कॉलेजेस में होंगे तथा इसमें निशुल्क इलाज किया जाएगा संतानहीन दंपतियों का। इसमें आईवीएफ की पूरी फैसिलिटीज उपलब्ध रहेंगी यह भी मेरे हिसाब से बहुत अच्छी शुरुआत है। क्योंकि प्राइवेट सेक्टर में तो एआरटी क्लिनिक्स बहुत सारे आ रहे हैं परंतु गवर्नमेंट सेक्टर में एआरटी क्लीनिक आना अपने आप में एक बहुत ही सुखद समाचार है। और इसे बाकी देश के भी मेडिकल कॉलेजेस ने फॉलो करना चाहिए आशा करती हूँ की ये जो सरकारी अस्पताल में आईवीएफ का खर्चा Related जानकारी है ये आप सबके लिए उपयोगी सिद्ध होगी धन्यवाद।

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